नमस्कार बच्चों,
हमने इस पोस्ट मे कक्षा 11 पाठ 5 कार्य , ऊर्जा तथा शक्ति का पूरा नोट्स दिया है। इस नोट्स मे हर एक बिन्दु को आसान भाषा मे लिखा है जिससे यह पाठ आप आसानी से समझ सकते है । यह नोट्स एनसीईआरटी (NCERT) पर आधारित है । अर्थात यह नोट्स उन सभी बच्चों के लिए उपयोगी है जो NCERT हिन्दी माध्यम से पढ़ते है ।
तो आप इस नोट्स के सायहता से इस पाठ कार्य , ऊर्जा तथा शक्ति को समझे और लिखे । हर एक पाठ आसान होता है अगर इसे हम पूरा समझे और जरूरी बिंदुओ को ध्यान मे रखे । यहा हमने नोट्स पीडीएफ़(PDF) के रूप मे दिया है जिसे आप download कर सके ताकि आप इसका print कर अपने समय को बचा सके।
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अध्याय | कार्य , ऊर्जा तथा शक्ति |
विषय | भौतकी |
अध्याय क्रमांक | 5 |
कक्षा | 11 |
माध्यम | हिन्दी |
सत्र | 2025-2026 |
कार्य , ऊर्जा तथा शक्ति नोट्स पीडीएफ़
5.-कार्य-ऊर्जा-तथा-शक्ति-1Check: एनसीईआरटी कक्षा 11 भौतिक विज्ञान नोट्स
पाठ मे मुख्य बिन्दु क्या-क्या है –
- भूमिका
- कार्य की संकल्पना
- ऊर्जा एवं शक्ति का परिचय
- कार्य
- नियत बल द्वारा किया गया कार्य
- परिवर्ती बल द्वारा किया गया कार्य
- कार्य-ऊर्जा प्रमेय
- ऊर्जा
- गतिज ऊर्जा
- स्थितिज ऊर्जा
- गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
- स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा
- ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत :
- यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण
- संरक्षी तथा असंरक्षी बल
- शक्ति
- शक्ति की परिभाषा
- औसत शक्ति एवं तात्क्षणिक शक्ति
- संघट्ट
- प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ संघट्ट
- संवेग और ऊर्जा संरक्षण का अनुप्रयोग
पाठ का सारांश
- जब किसी वस्तु पर बल लगाते हैं। और यदि वस्तु बल की दिशा में विस्थापित हो जाती है। तब तो वस्तु पर लगाये गये बल और बल की दिशा में हुए विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते हैं।
- यदि वस्तु पर f बल लगाने से बल की दिशा में विस्थापन d है तो कार्य, W = f x d
- किसी कर्ता द्वारा कार्य करने की दर उसकी शक्ति कहलाती है। इसे P से प्रदर्शित करते है।
- कार्य – ऊर्जा प्रमेय : किसी बल द्वारा किसी वस्तु पर किया गया कार्य उस वस्तु की गतिज मे हुए परिवर्तन के बराबर होता है।
- किसी वस्तु में उसकी स्थिति के कारण जो कार्य करने की क्षमता विद्यमान होती है, उसे वस्तु की स्थितिज उर्जा कहलाती है।
- जब दो या दो से अधिक वस्तुएं आपस में टकराती हैं तो वस्तुओं में टक्कर के पश्चात अल्प समय के लिए अन्योन्य क्रिया होती है, जिससे वस्तुओं के ऊर्जा एवं संवेग में परिवर्तन हो जाता है। इसे संघट्ट कहते है।
- संघट्ट में निकाय का संवेग संरक्षित रहता है, चूंकि आंतरिक बल में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
आशा है की यह नोट्स आपके उपयोग आया होगा। अगर कोई प्रश्न या कोई सुझाव है तो नीचे comment करे। हम आपको जल्द से जल्द जबाब देने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद।