नमस्कार बच्चों,
हमने इस पोस्ट मे कक्षा 11 पाठ 7 गुरुत्वाकर्षण का पूरा नोट्स दिया है। इस नोट्स मे हर एक बिन्दु को आसान भाषा मे लिखा है जिससे यह पाठ आप आसानी से समझ सकते है । यह नोट्स एनसीईआरटी (NCERT) पर आधारित है । अर्थात यह नोट्स उन सभी बच्चों के लिए उपयोगी है जो NCERT हिन्दी माध्यम से पढ़ते है ।
तो आप इस नोट्स के सायहता से इस पाठ गुरुत्वाकर्षण को समझे और लिखे । हर एक पाठ आसान होता है अगर इसे हम पूरा समझे और जरूरी बिंदुओ को ध्यान मे रखे । यहा हमने नोट्स पीडीएफ़(PDF) के रूप मे दिया है जिसे आप download कर सके ताकि आप इसका print कर अपने समय को बचा सके।
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अध्याय | गुरुत्वाकर्षण |
विषय | भौतकी |
अध्याय क्रमांक | 7 |
कक्षा | 11 |
माध्यम | हिन्दी |
सत्र | 2025-2026 |
गुरुत्वाकर्षण नोट्स पीडीएफ़
7.-गुरुत्वाकर्षणCheck: एनसीईआरटी कक्षा 11 भौतिक विज्ञान नोट्स
पाठ मे मुख्य बिन्दु क्या-क्या है –
- भूमिका एवं केप्लर के नियम
- ग्रहों की गति से संबंधित केप्लर के तीन नियम
- गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम
- न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम
- गुरुत्वाकर्षण नियतांक
- गुरुत्वीय त्वरण
- पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान
- ‘g’ के मान में परिवर्तन (ऊँचाई, गहराई तथा पृथ्वी के घूर्णन के कारण)
- गुरुत्वीय विभव तथा स्थितिज ऊर्जा
- गुरुत्वीय क्षेत्र, विभव तथा स्थितिज ऊर्जा की अवधारणा
- पलायन चाल
- किसी पिंड के लिए पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर जाने के लिए आवश्यक न्यूनतम चाल
- उपग्रह
- उपग्रहों की गति एवं कक्षीय चाल
- तुल्यकाली तथा ध्रुवीय उपग्रह
- भारहीनता
पाठ का सारांश
- केप्लर ने सौर परिवार में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाली ग्रहों की गति संबधं निम्नलिखित तीन नियम दिए।
- न्यूटन ने केप्लर के ग्रहों की गति संबंधी नियम से प्राप्त निष्कर्ष की व्याख्या करते हुए बताया की ब्राह्मांड का प्रत्येक पिंड किसी दूसरी पिंड को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस आकर्षण के गुण को गुरुत्वाकर्षण कहते है।
- पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती किसी वस्तु के वेग में प्रति सेकेण्ड में होने वाली व्रद्धि को पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण कहते है। इसे g सें प्रदर्शित करते है।
- एकांक द्रव्यमान को अनंत से गुरुत्वीय क्षेत्र के अन्तर्गत किसी बिन्दू 0 तक लाने में किए गए कार्य को उस बिन्दु पर गुरुत्वीय विभव कहते है।
- किसी पिंड को अनंत से गुरुत्वीय क्षेत्र के अंतर्गत किसी बिन्दु 0 तक लाने मे किए गए कार्य को उस बिन्दु पर उस वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते है। इसे U से प्रदर्शित करते है।
- पृथ्वी के चारो ओर परिक्रमा कर रहे किसी उपग्रह का वह वृतीय पथ जिस पर वह पृथ्वी के समान ही 24 घंटे में परिक्रमा करता है एवं इसके घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व ही होती है तो इस प्रकार की कक्षा को भु तुल्यकाली कक्ष कहते है तथा इस कक्षा में परिक्रमण कर रहे उपग्रह को भु-तुल्यकाली उपग्रह कहते है।
आशा है की यह नोट्स आपके उपयोग आया होगा। अगर कोई प्रश्न या कोई सुझाव है तो नीचे comment करे। हम आपको जल्द से जल्द जबाब देने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद।