नमस्कार बच्चों,
हमने इस पोस्ट मे कक्षा 11 पाठ 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी का पूरा नोट्स दिया है। इस नोट्स मे हर एक बिन्दु को आसान भाषा मे लिखा है जिससे यह पाठ आप आसानी से समझ सकते है। यह नोट्स एनसीईआरटी (NCERT) पर आधारित है । अर्थात यह नोट्स उन सभी बच्चों के लिए उपयोगी है जो NCERT हिन्दी माध्यम से पढ़ते है ।
तो आप इस नोट्स के सायहता से इस पाठ पुष्पी पादपों की आकारिकी को समझे और लिखे। हर एक पाठ आसान होता है अगर इसे हम पूरा समझे और जरूरी बिंदुओ को ध्यान मे रखे । यहा हमने नोट्स पीडीएफ़(PDF) के रूप मे दिया है जिसे आप download कर सके ताकि आप इसका print कर अपने समय को बचा सके।
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अध्याय | पुष्पी पादपों की आकारिकी |
विषय | जीवविज्ञान |
अध्याय क्रमांक | 5 |
कक्षा | 11 |
माध्यम | हिन्दी |
सत्र | 2025-2026 |
जीवविज्ञान कक्षा 11 अध्याय 5 नोट्स पीडीएफ़
5.-पुष्पी-पादपों-की-आकारिकीCheck: एनसीईआरटी कक्षा 11 जीवविज्ञान नोट्स पीडीएफ़
पाठ में मुख्य बिन्दु क्या-क्या है –
- परिचय
- आकारिकी का महत्व
- पुष्पी पादपों के विभिन्न भागों का सामान्य अवलोकन
- मूल (जड़) (The Root)
- मूल के सामान्य लक्षण
- मूल के प्रकार
- मूल के क्षेत्र
- मूल के रूपांतरण (Modification of Root)
- तना (The Stem)
- तने के सामान्य लक्षण
- तने के रूपांतरण (Modification of Stem)
- पत्ती (The Leaf)
- पत्ती के सामान्य लक्षण और कार्य
- पत्ती के भाग
- शिरा-विन्यास (Venation)
- पत्ती के प्रकार
- पर्णविन्यास (Phyllotaxy)
- पत्ती के रूपांतरण (Modification of Leaf)
- पुष्पक्रम (The Inflorescence)
- पुष्पक्रम के प्रकार:
- असीमाक्षी (Racemose)
- ससीमाक्षी (Cymose)
- पुष्पक्रम के प्रकार:
- पुष्प (The Flower)
- पुष्प के भाग
- पुष्प के भागों की स्थिति के आधार पर पुष्प के प्रकार (हाइपोग्राइनस, पेरीगाइनस, एपिगाइनस)
- पुमंग (Androecium)
- जायांग (Gynoecium)
- बीजांडन्यास (Placentation)
- फल (The Fruit)
- फल की परिभाषा और प्रकार
- फलभित्ति (Pericarp) और उसके भाग (एपिपीकार्प, मीसोकार्प, एंडोकार्प)
- एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री फलों के उदाहरण (जैसे आम, नारियल)
- बीज (The Seed)
- बीज के भाग
- एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री बीज की संरचना और उदाहरण
- एक प्रारूपी पुष्पी पादप का अर्ध-चित्रण (Semi-technical Description of a Typical Flowering Plant)
- पुष्पीय सूत्र (Floral Formula)
- पुष्पीय चित्र (Floral Diagram)
पुष्पी पादपों की आकारिकी – पाठ का सारांश
- जड़े बीज में उपस्थित भ्रूण के मुलांकुर से विकसित होता है। इस जड़ को प्राथमिक मूल कहते हैं।
- तना भ्रूण के प्रांकुर से विकसित होता है, तना पौधे का वायवीय भाग है। जिस पर शाखाए, पत्तियों, फूल तथा फल उगते है
- पत्ती (Leaf)- यह पौधे का महत्वपूर्ण भाग है, इसमें हरे रंग का वर्णक पर्वहरम पाया जाता है। इस वर्णक के कारण ही पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण होता है। पौधे में पत्नी का निर्माण पर्व संधियों पर होता है।
- एकबीज पत्ती पौधों की पत्रियों में शिराओं के फैलने की व्यवस्था अलग -2 प्रकार की होती है 1 पत्त्रियों में पाये जाने वाले शिराओं के इस क्रम को शिरान्वियास कहते है।
- तने अथवा शाखाओं की पर्वसंथियों पर पत्तियाँ पाई जाती हैं। ये एक निश्चित क्रम में लगी रहती हैं। इस प्रकार तने अथवा शाखाओं पर पतियों के लगने के क्रम को ही पर्ण विन्यास कहते है।
- पुष प्रायः अकेले या समूह में लगते है, पुष्पों के पुष्प अक्ष पर लगने के क्रम को पुष्पक्रम कहते है।
- जब पुष्प को केवल एक ही उदग्र तल में काटने पर दो सम अर्ध भागों में बांटा जा सके और अन्य स्थानों पर वह दो सम-अर्ध भोगा में न अर्ध बांटा जा सके तो ऐसे पुष्प को एकव्यसमिमित पुष्प कहते है।
- कभी-कभी पौधों में बिना निषेचन क्रिया के ही अण्डाशय उद्दीप्त होकर फल में ही बदल जाते हैं। ऐसे फल को अविषेकफलन कहते हैं।
- ग्रंथिलफल (composite fruits )- इस प्रकार के फल सम्पूर्ण पुष्य क्रम से विकसित होते हैं।ये असत्य फल होते है।
आशा है की यह नोट्स आपके उपयोग आया होगा। अगर कोई प्रश्न या कोई सुझाव है तो नीचे comment करे। हम आपको जल्द से जल्द जबाब देने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद।