नमस्कार बच्चों,
हमने इस पोस्ट मे कक्षा 11 पाठ 6 पुष्पी पादपों का शारीर का पूरा नोट्स दिया है। इस नोट्स मे हर एक बिन्दु को आसान भाषा मे लिखा है जिससे यह पाठ आप आसानी से समझ सकते है । यह नोट्स एनसीईआरटी (NCERT) पर आधारित है । अर्थात यह नोट्स उन सभी बच्चों के लिए उपयोगी है जो NCERT हिन्दी माध्यम से पढ़ते है ।
तो आप इस नोट्स के सायहता से इस पाठ पुष्पी पादपों का शारीर को समझे और लिखे। हर एक पाठ आसान होता है अगर इसे हम पूरा समझे और जरूरी बिंदुओ को ध्यान मे रखे । यहा हमने नोट्स पीडीएफ़(PDF) के रूप मे दिया है जिसे आप download कर सके ताकि आप इसका print कर अपने समय को बचा सके।
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अध्याय | पुष्पी पादपों का शारीर |
विषय | जीवविज्ञान |
अध्याय क्रमांक | 6 |
कक्षा | 11 |
माध्यम | हिन्दी |
सत्र | 2025-2026 |
जीवविज्ञान कक्षा 11 अध्याय 6 नोट्स पीडीएफ़
6.-पुष्पी-पादपों-का-शरीरCheck: एनसीईआरटी कक्षा 11 जीवविज्ञान नोट्स पीडीएफ़
पाठ में मुख्य बिन्दु क्या-क्या है –
- परिचय
- पादप शारीरिकी का महत्व
- पादप ऊतक और उनके कार्य
- ऊतक (Tissues)
- विभज्योतक ऊतक (Meristematic Tissues):
- शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical Meristem)
- अंतर्वेशी विभज्योतक (Intercalary Meristem)
- पार्श्व विभज्योतक (Lateral Meristem)
- विभज्योतक ऊतक (Meristematic Tissues):
- स्थायी ऊतक (Permanent Tissues):
- सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissues):
- पैरेन्काइमा (Parenchyma)
- कॉलेन्काइमा (Collenchyma)
- स्क्लेरेन्काइमा (Sclerenchyma)
- जटिल स्थायी ऊतक (Complex Permanent Tissues):
- जाइलम (Xylem)
- फ्लोएम (Phloem)
- सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissues):
- ऊतक तंत्र (Tissue Systems)
- बाह्यत्वचीय ऊतक तंत्र (Epidermal Tissue System)
- भरण ऊतक तंत्र (Ground Tissue System)
- संवहन ऊतक तंत्र (Vascular Tissue System)
- द्विबीजपत्री और एकबीजपत्री पादपों का शारीर
- द्विबीजपत्री मूल की शारीरिकी (Anatomy of Dicot Root)
- एकबीजपत्री मूल की शारीरिकी (Anatomy of Monocot Root)
- द्विबीजपत्री तने की शारीरिकी (Anatomy of Dicot Stem)
- एकबीजपत्री तने की शारीरिकी (Anatomy of Monocot Stem)
- पृष्ठाधारी (द्विबीजपत्री) पत्ती की शारीरिकी (Anatomy of Dorsiventral (Dicot) Leaf)
- समद्विपार्श्व (एकबीजपत्री) पत्ती की शारीरिकी (Anatomy of Isobilateral (Monocot) Leaf)
- द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth)
- द्वितीयक वृद्धि का महत्व
- द्विबीजपत्री तने में द्वितीयक वृद्धि: संवहन कैंबियम, काग कैंबियम
- द्वितीयक जाइलम और द्वितीयक फ्लोएम का निर्माण
- वलय (Annual Rings)
- अंतःकाष्ठ और रसकाष्ठ (Heartwood and Sapwood)
- काग कैंबियम द्वारा द्वितीयक वृद्धि
- द्वितीयक वृद्धि मूल में (संक्षिप्त परिचय)
पुष्पी पादपों का शरीर – पाठ का सारांश
- उच्च श्रेणी के पौधे का शरीर असंख्य कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। ऐसे शरीर को प्राय: बहुकोशिकीय कहते हैं।
- विज्ञान की वह शाखा जिसमें उत्तकों का अध्ययन किया जाता है। उसे उत्तकविज्ञान कहते हैं।
- शान्त केन्द्र या शान्त बिंदु (Quiescent Centre )- इस शब्द का प्रयोग क्लोज ने मक्के की जड़ के अध्ययन के दौरान किया। यह कप के समान निष्क्रीय या कम सक्रीय कोशिकाओं का एक ऐसा समूह है जो मूलगोप एवं संक्रिय जड़ विभज्योतक के बीच स्थित होता है। इस भाग की कोशिकाओं मे DNA की मात्रा कम होती है।
- जटिल उत्तक(Complex tissue)- इस प्रकार के उत्तक एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बनते हैं तथा सभी कोशिकाएं मिलकर एक इकाई के रूप में संगठित होकर कार्य करती हैं |
- विशिष्ट उत्तक(Special tissue)- इस प्रकार के उत्तक पौधों में विशेष कार्य करते हैं। जैसे – गोंद (gum), रेजिन (resiन) रबरक्षीरी या लैटेक्स आदि का स्रावण।
- टेरिडोफाइट्स में पार्श्व जड़ों की उत्पत्ति ऐडोडर्मिस से होती है जबकी आवृतबीजी पौधों में पार्श्व जड़ो की उत्पत्ति फेरीसाइकिल से होती है।
- द्वितीयकवृदी के समय कैम्बियम वलय द्वारा कहीं – कहीं पर जाइलम तथा फ्लोएम उत्तकों का निर्माण न होकर मृदूतक कोशिकाओं की पट्टियों का निर्माण होता है। जो जाइलम एवं फ्लोएम भागों में स्थित होती है। इन लम्बी पटिट्यों को द्वितीयक मज्जा रश्मियों कहते हैं।
आशा है की यह नोट्स आपके उपयोग आया होगा। अगर कोई प्रश्न या कोई सुझाव है तो नीचे comment करे। हम आपको जल्द से जल्द जबाब देने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद।