कक्षा 12 रसायन विज्ञान पाठ 5 उपसहसंयोजन यौगिक नोट्स पीडीएफ़ डाउनलोड

कक्षा 12 रसायन विज्ञान पाठ 5 उपसहसंयोजन यौगिक नोट्स पीडीएफ़ डाउनलोड

नमस्कार बच्चों,

हमने इस लेख मे कक्षा 12 रसायन विज्ञान पाठ 5 उपसहसंयोजन यौगिक का पूरा नोट्स दिया है। इस नोट्स मे हर एक बिन्दु को आसान भाषा मे लिखा है जिससे यह पाठ आप आसानी से समझ सकते है । यह नोट्स एनसीईआरटी (NCERT) पर आधारित है । अर्थात यह नोट्स उन सभी बच्चों के लिए उपयोगी है जो NCERT हिन्दी माध्यम से पढ़ते है ।

तो आप इस नोट्स के सायहता से इस पाठ उपसहसंयोजन यौगिक को समझे और लिखे। हर एक पाठ आसान होता है अगर इसे हम पूरा समझे और जरूरी बिंदुओ को ध्यान मे रखे । यहा हमने नोट्स पीडीएफ़(PDF) के रूप मे दिया है जिसे आप download कर सके ताकि आप इसका print कर अपने समय को बचा सके।

Download करने के लिए दिये गए Download PDF लिंक पर क्लिक करे ।

अध्यायउपसहसंयोजन यौगिक
विषयरसायन विज्ञान
अध्याय क्रमांक5
कक्षा12
माध्यमहिन्दी
सत्र2025-2026

रसायन विज्ञान कक्षा 12 अध्याय 5 हस्तलिखित नोट्स पीडीएफ़

5.-उपसहसंयोजन-यौगिक

पाठ में मुख्य बिन्दु क्या-क्या है –

5.1 वर्नर का उपसहसंयोजन सिद्धांत (Werner’s Theory of Coordination Compounds)

5.2 उपसहसंयोजन यौगिकों से संबंधित कुछ प्रमुख पारिभाषिक शब्द एवं उनकी परिभाषाएँ (Definitions of Some Important Terms Pertaining to Coordination Compounds)

  • उपसहसंयोजन सत्ता अथवा संकुल (Coordination Entity or Complex)
  • केंद्रीय परमाणु/आयन (Central Atom/Ion)
  • लिगन्ड (Ligand)
  • उपसहसंयोजन संख्या (Coordination Number)
  • उपसहसंयोजन मंडल (Coordination Sphere)
  • उपसहसंयोजन बहुफलक (Coordination Polyhedron)
  • केंद्रीय परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या (Oxidation Number of Central Atom)
  • होमोलैप्टिक तथा हेटरोलैप्टिक संकुल (Homoleptic and Heteroleptic Complexes)

5.3 उपसहसंयोजन यौगिकों का नामकरण (Nomenclature of Coordination Compounds)

5.4 उपसहसंयोजन यौगिकों में समावयवता (Isomerism in Coordination Compounds)

  • त्रिविम समावयवता (Stereoisomerism)
    • ज्यामितीय समावयवता (Geometrical Isomerism)
    • प्रकाशिक समावयवता (Optical Isomerism)
  • संरचनात्मक समावयवता (Structural Isomerism)
    • बंधनी समावयवता (Linkage Isomerism)
    • उपसहसंयोजन समावयवता (Coordination Isomerism)
    • आयनन समावयवता (Ionization Isomerism)
    • विलायकयोजन समावयवता (Solvate Isomerism)

5.5 उपसहसंयोजन यौगिकों में आबंधन (Bonding in Coordination Compounds)

  • 5.5.1 संयोजकता आबंध सिद्धांत (Valence Bond Theory)
  • 5.5.2 क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत (Crystal Field Theory)
    • अष्टफलकीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन (Crystal Field Splitting in Octahedral Coordination Entities)
    • चतुष्फलकीय संकुलों में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन (Crystal Field Splitting in Tetrahedral Coordination Entities)
  • 5.5.3 उपसहसंयोजन यौगिकों में रंग (Colour in Coordination Compounds)
  • 5.5.4 धातु कार्बोनिलों में आबंधन (Bonding in Metal Carbonyls)

5.6 उपसहसंयोजन यौगिकों का स्थायित्व (Stability of Coordination Compounds)

5.7 उपसहसंयोजन यौगिकों का महत्व एवं अनुप्रयोग (Importance and Applications of Coordination Compounds)

उपसहसंयोजन यौगिक – पाठ का सारांश

  1. दो या दो से अधिक सरल लवण के एक निश्चित अनुपात में जुड़ने से बनने वाले यौगिक योगात्मक यौगिक कहलाते है।
  2. ऐसे यौगिक जो ठोस तथा द्रव दोनो अवस्थाओ मे अपने स्थायित्व को बनाये रखते है तथा ऐसे यौगिक जिनमे कुछ परमाणु परमाणु समूह तथा आयन किसी परमाणु से उप सहसंयोजन बंध द्वारा जुड़े रहते है, उपसंहसंयोजक यौगिक कहलाते हैं।
  3. वे परमाणु , परमाणु समूह अथवा आयन जो धातु परमाणु से उपसहसंयोजक बन्ध बनाते है, लिगेण्ड कहलाते है। लिगेण्ड धातु परमाणु को दों e अर्थात एक e युग्म दान करते है।
  4. किसी भी लिगेण्ड द्वारा बनाए जाने वाले उपसहसंयोजक बन्धों की संख्या उसकी दन्तुकता कहलाती है।
  5. सर्वप्रथम वर्नर ने उपसहसंयोजक यौगिको की संरचना के बारे में उपसहसंयोजक सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे वर्नर सिद्धांत कहते है।
  6. संयोजी आबन्ध सिद्धांत (Valence Bond Theory) – यह सिद्धांत मुख्य रूप से संकुल यौगिको की ज्यामिती तथा उनके चुम्बकीय गुणो की व्याख्या करता है।
  7. क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत (Crystal Field theory) – इस सिद्धांत में धातु आयन तथा लिगेण्डों को बिन्दु आवेश मानते हुए वैधुत आकर्षण के सिद्धांत पर उपसहसंयोजक यौगिको की संरचना के बारे में बताया।
  8. उपसहसंयोजक यौगिको मे रंगो की व्याख्या:- जब t2g कक्षक मे उपस्थित e श्वेत दृश्य प्रकाश से ऊर्जा अवशोषित करता है तो यह eg कक्षक में प्रवेश कर जाता है। इसे d-d संक्रमण कहते है तथा शेष बचा हुआ प्रकाश अश्वेत नही होता जिससे यौगिक का रंग दिखायी देता है।

आशा है की यह नोट्स आपके उपयोग आया होगा। अगर कोई प्रश्न या कोई सुझाव है तो नीचे comment करे। हम आपको जल्द से जल्द जबाब देने की कोशिश करेंगे।

धन्यवाद।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *