नमस्कार बच्चों,
हमने इस पोस्ट मे कक्षा 11 पाठ 11 ऊष्मागतिकी का पूरा नोट्स दिया है। इस नोट्स मे हर एक बिन्दु को आसान भाषा मे लिखा है जिससे यह पाठ आप आसानी से समझ सकते है । यह नोट्स एनसीईआरटी (NCERT) पर आधारित है । अर्थात यह नोट्स उन सभी बच्चों के लिए उपयोगी है जो NCERT हिन्दी माध्यम से पढ़ते है ।
तो आप इस नोट्स के सायहता से इस पाठ ऊष्मागतिकी को समझे और लिखे । हर एक पाठ आसान होता है अगर इसे हम पूरा समझे और जरूरी बिंदुओ को ध्यान मे रखे । यहा हमने नोट्स पीडीएफ़(PDF) के रूप मे दिया है जिसे आप download कर सके ताकि आप इसका print कर अपने समय को बचा सके।
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अध्याय | ऊष्मागतिकी |
विषय | भौतकी |
अध्याय क्रमांक | 11 |
कक्षा | 11 |
माध्यम | हिन्दी |
सत्र | 2025-2026 |
भौतिक विज्ञान कक्षा 11 अध्याय 11 नोट्स पीडीएफ़
ऊष्मागतिकीCheck: एनसीईआरटी कक्षा 11 भौतिक विज्ञान नोट्स
पाठ में मुख्य बिन्दु क्या-क्या है –
- भूमिका एवं ऊष्मागतिकी का शून्यवाँ नियम
- तापीय साम्य
- ऊष्मागतिकी का शून्यवाँ नियम और ताप की संकल्पना
- ऊष्मा, आंतरिक ऊर्जा और कार्य
- इन राशियों की अवधारणा और उनके बीच संबंध
- ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम
- ऊर्जा संरक्षण का नियम (ΔQ=ΔU+ΔW)
- ऊष्मागतिक प्रक्रम :
- समतापी (Isothermal), रुद्धोष्म (Adiabatic), समदाबी (Isobaric) और समआयतनिक (Isochoric) प्रक्रम
- ऊष्मा इंजन
- ऊष्मा को कार्य में परिवर्तित करने वाले उपकरण का सिद्धांत
- प्रशीतक एवं ऊष्मा पम्प
- ऊष्मा इंजन के विपरीत कार्य करने का सिद्धांत
- ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम
- ऊष्मा प्रवाह की दिशा और प्राकृतिक प्रक्रमों की अनुत्क्रमणीयता को परिभाषित करता है
- कार्नो इंजन
- एक आदर्श उत्क्रमणीय ऊष्मा इंजन की अवधारणा एवं दक्षता
ऊष्मागतिकी – पाठ का सारांश
- किसी ऊष्मागतिकी निकाय की आंतरिक उर्जा निकाय के अणुओं की स्थानातरित गतिज ऊर्जा, घुर्णन उर्जा. कंपन गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है।
- ऊष्मागतिकी के शुन्य नियम के अनुसार यदि दो निकाय किसी तीसरें ऊष्मागतिकी निकाय के साथ अलग-अलग तापीय साम्य में है तो वह दोनों निकाए भी परस्पर तापीय साम्य में होगें।
- किसी निकाय के वे मुलभुत गुण जो निकाय की अवस्था को निर्धारित करते है। उन्हे अवस्था फलन कहते है।
- जब किसी निकाय की अवस्था में परिवर्तन किया जाता है तो निकाय की उर्जा भी परिवर्तित होती है। इस उर्जा परिवर्तन को कार्य द्वारा व्यक्त किया जाता है।
- ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार, यदि किसी ऊष्मागतिकी निकाय को ऊष्मा दी जाए तो इस ऊष्मा का कुछ भाग निकाय की आंतरिक उर्जा में वृद्धि करने में खर्च हो जाएगा। तथा ऊष्मा का शेष भाग ऊष्मागतिकी निकाय द्वारा कार्य करने में व्यय हो जाएगा।
- ऊष्मा इंजन- यह एक ऐसी युक्ति है जो उष्मीय उर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित करती है। उष्मा इंजन के मुख्यतः तीन भाग होते हैं।
- कार्नो ऊष्मा इंजन की क्रियाविधी जिस आदर्श चक्र पर आधारित होती है। उसे कार्नो चक्र कहते है।
- केल्विन प्लांक कथन- उष्मा इंजन द्वारा स्त्रोत से ली गयी ऊष्मा का कुछ भाग कार्य में परिवर्तित करके शेष भाग को शीतल वस्तु को दे दिया जाता है।अब तक ऐसा कोई भी उष्मा इंजन नहीं है जो उष्मा स्त्रोत से उष्मा लेकर उस उष्मा को पूर्ण तथा कार्य में रुपांतरित कर दे अर्थात उष्मा स्त्रोत से ली गई संपूर्ण उष्मा कार्य में बदल जाए एवं शीतल वस्तु को ऊष्मा नहीं दी जाए।
आशा है की यह नोट्स आपके उपयोग आया होगा। अगर कोई प्रश्न या कोई सुझाव है तो नीचे comment करे। हम आपको जल्द से जल्द जबाब देने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद।